दोस्तों आज मै इस पोस्ट मे आप सभी लोगों को utpreksha alankar के बारे मे बताने वाला हु. आज हम इस पोस्ट मे utpreksha alankar ki paribhasha udaharan sahit जानकारी प्राप्त करेंगे. यदि आप लोग उत्प्रेक्षा अलंकार के बारे मे जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो आप हमारे इस पोस्ट को अंत तक पढे.
उत्प्रेक्षा अलंकार (utpreksha alankar ) की परिभाषा
समानता होने के कारण उपमेय में उपमान की न होने की कल्पना की जाती है तो वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है यदि पंक्ति में मनु, जनू, जानो, मानहु मानो, निश्चय, ईव, ज्यों आदि शब्द आता है तो वहां पर उत्प्रेक्षा अलंकार (utpreksha alankar) होता है.
उत्प्रेक्षा अलंकार के 10 उदाहरण
• ले चला साथ में मुझसे कनक, ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण ||
🌍 इस उदाहरण में हम देख सकते हैं कि कनक का अर्थ अधूरा है कवि कहता है कि वह धतूरे की ऐसे ले चला जैसे कोई भिक्षुक सोना ले जा रहा हो काव्यांश में ‘ज्यो’ शब्द का इस्तेमाल हो रहा है एवं कनक उपमेय में स्वर्ण उपमान के होने की कल्पना हो रही है अत एवं या उदाहरण उत्प्रेक्षा अलंकार के अंतर्गत आता है |
• सिर फट गया उसका वही, मानो अरुण रंग का घड़ा हो ||
🌍 इस उदाहरण में सिर की सिर की लाल रंग का घड़ा होने की कल्पना की जा रही है यहां सिर उपमेय है एवं लाल रंग का घड़ा उपमान है उपमेय में उपमान के होने की कल्पना की जा रही है यह उदाहर उत्प्रेक्षा अलंकार के अंतर्गत आता है |
• नेत्र मानो कमल है |
🌍 इस उदाहरण में ‘नेत्र’ उपमेय की ‘कमल’ अपमान होने की कल्पना की जा रही है मानव शब्द का प्रणय कल्पना करने के लिए किया गया है और यह उदाहरण उत्प्रेक्षा अलंकार के अंतर्गत आता है |
• सोहत ओढ़े पीत पट, श्याम सलोने गात|
मनहुं नीलमनि सैल पर, आप परयौ प्रभात ||
🌍 इस उदाहरण में श्री कृष्ण के सुंदर श्याम शरीर में नीलमणि पर्वत की ओर शरीर पर शोभायमान पितांबर में प्रभात की धूप की मनोरमा संभावना की जा रही है |
• उस वक्त मारे क्रोध के तन कांपने उनका लगा,
मानो हवा की जोर से सोता हुआ सागर जगा ||
🌍 इस उदाहरण में अर्जुन के क्रोध से कांपते हुए शरीर (उपमान) से की गई अतः यह उत्प्रेक्षा अलंकार के अंदर आता है |
• सखी सोहत गोपाल के, और गुंजन की ऑलबाहर सोहत मनु पिये, दावानल की ज्वाल ||
🌍 इस उदाहरण में गूंज की माला उपमेंय मे दावानल की ज्वार उपमान की संभावना होने से उत्प्रेक्षा अलंकार है इसमें मनु शब्द का प्रयोग संभावना दर्शाने के लिए किया गया है अतः या उत्प्रेक्षा अलंकार के अंदर आता है |
• कहती हुई यो उत्तरा के नेत्र जल से भर गए, हिम के कणों से पूर्व मानो हो गए पंकज ने ||
🌍 इस उदाहरण में हम देख सकते हैं पंक्तियों में उत्तरा के अश्रुपूर्ण नेत्रों उप में में उस जलकर युक्त पंकज उपमान की संभावना की जा रही है तो यह उत्प्रेक्षा अलंका के अंदर आता है |
• मानो भाई घनघन दामिनी,धन दामिनी दामिनी धन अंतर, शोभित हरी ब्रिज भामिनी ||
🌍 इस उदाहरण में रामलीला का एक अलौकिक दृश्य दिखाया गया है गोरी गोपियां और श्याम वर्ण कृष्णा मंडल आकार नाचते हुए ऐसे लग रहे हैं मानव बादल और बिजली साथ-साथ शोभायमान हो रहे हैं |
• जान पड़ता है नेत्र देख बड़े-बड़े हीरो में गोल नीलम है जाने |
🌍 इस उदाहरण में हम देख सकते हैं यहां बड़े-बड़े नेत्र उपमेय में नीलक उपमान के होने की कल्पना की जा रही है यहां कभी कह रहा है कि तुम्हारी बड़ी बड़ी आंखें ऐसी लगती है जैसे कि हीरो में नीलम जड़े हुए हैं जैसा कि हम देख सकते हैं कि उपमेय में उपमान के होने की कल्पना की जा रही है इस वाक्य में जान पड़ता है का प्रयोग किया जा रहा है |
उत्प्रेक्षा अलंकार के कुछ अन्य उदाहरण
Serial No | utpreksha alankar ke udaharan |
1 | मुख बाल रवि सम लाल होकर, ज्वाला सा वोधित हुआ | |
2 | सोहत ओढ़े पीत पट स्याम सलोने गात, मानव नीलमणि सेल पर आ तक परियों प्रभात | |
3 | उस क्रोध के मारे तनु उसका कांपने लगा, मानो हवा के जोर से सीता हुआ सागर जगा | |
4 | जान पड़ता है नहीं तो देख बड़े-बड़े, हीरो को मे गोल निलम है जड़े | |
5 | ले चला साथ में तुझे कनक, ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण | |
6 | सिर फट गया उसका वही, मानो अरुण रंग का घड़ा हो | |
Conclusion
तो आशा करते हैं हम की हमारा ही लिखा हुआ लेख आपको बहुत ही लाभदायक हुवा होगा, हमारे इस लेख मे अधिक से अधिक जानकारी उत्प्रेक्षा अलंकार के बारे में बताई गई है. हमारे ब्लॉग पर आपको हिंदी व्याकरण की संपूर्ण जानकारी मिलती है.
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